घोड़ासहन, पूर्वी चम्पारण।
रेल बनाम डिस्ट्रिक्ट बोर्ड मामला ठंढे बस्ते में :-कथित रेल परिक्षेत्र व डिस्ट्रिक्ट बोर्ड जमीन मामले में पैमाईस के बाद सभी दुकाने खुलने लगी है। रेलवे स्टेशन से उत्तर शब्जी बाजार से लेकर माल गोदाम के निकट तक की बंद सभी दुकाने अब खुलने लगी है। दोनों तरफ के अधिकारी अपने अपने दावें ठोक रहें हैं।
19 दिसंबर से हो रहा है पैमाईस :-
डिस्ट्रिक्ट बोर्ड व रेल की कथित इस भूमि को लेकर दोनों विभागों के पदाधिकारियों के द्वारा भूमि की पैमाईस इसी 19 दिसंबर से कराई जा रही है। जिसमे रेल के अधिकारीयों ने इस भूमि को अपना बताया। साथ ही सभी दुकानों को हटा लेने का फरमान भी जारी कर दिया। हलाकि इसके पहले ही रेलवे के पुलिस पदाधिकारियों के द्वारा यहाँ इस परिक्षेत्र के सभी दुकानों को घूम घूमकर बंद कराया गया गया था। इतना ही नहीं इस भूमि को रेलवे का बताते हुए स्टेशन से सटे दक्षिण सुबह वाली शब्जी बाजार, बस स्टेण्ड, टेम्पू स्टेण्ड, मीट मछली दुकान तथा उत्तर तरफ लगने वाली संध्या शब्जी बाजार, टेम्पू स्टेण्ड सहित अप्रोच मार्ग पर लगने वाली सभी फुटपाथी, टेम्परोरी व स्थाई दुकानों को बंद करा दिया गया था।
दोनों कर रहें हैं दावें, हलाकि डिस्ट्रिक्ट बोर्ड को जा रहा है रेंट :-
जबकि इसमें कुछ दुकानदारों के द्वारा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड को रेंट भी जमा किया जा रहा है। असमंजस की स्थिति में 19 दिसंबर से पैमाईस भी शुरू हुई। फिर भी असमंजस बनी रही। रेल अधिकारीयों के पास स्थित नक्से में रेलवे की जमीन है तो डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के नक्से में 3 कट्ठा 7 धुर जमीन डिस्ट्रिक्ट बोर्ड की है।
नक्से में डिस्ट्रिक्ट बोर्ड की जमीन बोले सर्किल ऑफिसर :-
इधर घोड़ासहन सर्किल ऑफिसर ने बताया कि उपलब्ध नक्से के हिसाब से डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का खाता खेसरा है। नापी के लिए अमिन को लगाया गया है। रिपोर्ट के बाद आगे का निर्णय निर्भर है।
विवादित भूमि के दक्षिण व रेल ट्रेक से उत्तर है एक और सड़क, ईंख कांटा के लिए होता था इस्तेमाल :-
वहीँ डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के एक अधिकारी ने अप्रोच रोड को इससे और उत्तर बताया तथा कहा कि एक और सड़क है जो रेल ट्रेक के ठीक सटे उत्तर से गयी है। जिसमे अभी पानी भरा हुआ है। पूर्व में इसका इस्तेमाल किसान चीनी मिल को ईंख तौलवाने आदि के लिए करते थे। इसके बाद से यह बंद है।
2004 में भी हुई थी इसकी पैमाईस, नतीजा सिफर :-
इधर स्थानीय लोगो के अनुसार इसी तरह 2004 में भी नापी हुई थी। लेकिन इस तरह दुकानों को बंद नहीं कराया गया था। हलाकि उस समय भी मामला कथित रेल और डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का था। जिसमे कोई निर्णय सामने नहीं आया। इस बार भी वैसा ही लग रहा है।
साँप - छुछुंदर की स्थिति :-
वहीं इसमें अवस्थित दुकानदारों का भी सांप छुछुंदर का हाल है। इनका कहना है कि जो भी हो फाइनल निर्णय हो। ताकि आगे की ब्यवस्था तय किया जा सके। जब तक निर्णय नही होता, तब तक असमंजस की स्थिति है। करीब सभी दुकानों में कच्चे माल हैं।
अधिकारीयों का पॉकेट हिट, मामला फिट :-
वहीं कई लोगो ने इसे वसूली ठीकेदार बदलने के बाद पैसों को लेकर रेल अधिकारीयों की जेबें कम गर्म होना भी बता रहें हैं। कई लोगों ने नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया कि जैसे ही रेल कर्मियों के जेबें हिट हुई, वैसे ही मामला फिट हो गया और सभी दुकानों को लगाने की छूट मिल गयी। जितनी मुंह उतनी बात।