बिहार।
इधर कुछ हफ्ते कुछ माह से बच्चा चोरी का अफवाह प्रकाश की गति से वायरल हो रहा है। हलाकि यह पहली बार नहीं है। कई बर्षो से लोग इस तरह के अफवाह का शिकार होते आ रहें है। लेकिन कोरोना काल में लोग खासकर युवा पीढ़ी कब सोशल साइट्स के आगोस में आ गए पता भी नहीं चला। फिल्मो के फोटो वीडियो को इस साइट्स पर डाल कर या फिर पुराने फोटो वीडियो को दिखाकर वायरल करना आम बात हो गया है और हम-आप बिना कुछ तहकीकात के बिना कुछ सोचे समझे फ़ैलाने लगते हैं या यूँ कहें कि अपने इष्ट मित्रो को फॉरवार्ड भी कर देते हैं। चुकी मित्र हमारे-आपके अच्छे ओहदे पर हैं, इसलिए हम-आप बिश्वास भी कर लेते हैं। अपने बच्चे की चिंता जायज है। पर अफवाहों से भी बचना है। क्या पता किसी की सोची समझी साजिस हो। जिसका हम-आप शिकार हो रहें हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर लोग कानून को हाथ में क्यों लेने लगे ? क्या कानून ब्यवस्था वाकई बिगड़ गयी है ? या फिर हम-आप पढ़-लिखकर भी अशिक्षित होते जा रहें हैं ? क्या वाकई फेशबुक और व्हाट्सप्प जैसे सोशल साइट्स ने हमारे-आपके सोचने-समझने के शक्ति को छिन्न कर दिया है ?
ऐसे ऐसे कई सवाल हैं। जिसका जवाब नहीं है। लेकिन इसको रोकने की जरुरत है। कानून को हाथ में न लें। फैसले के लिए कोर्ट और सुरक्षा के लिए पुलिस जैसे ब्यवस्था को बनाया गया है। हाँ सजग जरूर रहें ताकि इसकी आवश्यकता ही न पड़े। एक बात और सप्ताह में एक दिन नमक की तरह सोशल साइट्स का भी परित्याग करने का प्रयाश करें। सकारात्मक सोच रखे।
पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद्।
-: लेखक के कलम से :-