बच्चा चोरी के अफवाह का शिकार हो कानून अपने हाथ में ले रहे है लोग

बिहार। 

इधर कुछ हफ्ते कुछ माह से बच्चा चोरी का अफवाह प्रकाश की गति से वायरल हो रहा है। हलाकि यह पहली बार नहीं है। कई बर्षो से लोग इस तरह के अफवाह का शिकार होते आ रहें है। लेकिन कोरोना काल में लोग खासकर युवा पीढ़ी कब सोशल साइट्स के आगोस में आ गए पता भी नहीं चला। फिल्मो के फोटो वीडियो को इस साइट्स पर डाल कर या फिर पुराने फोटो वीडियो को दिखाकर वायरल करना आम बात हो गया है और हम-आप बिना कुछ तहकीकात के बिना कुछ सोचे समझे फ़ैलाने लगते हैं या यूँ कहें कि अपने इष्ट मित्रो को फॉरवार्ड भी कर देते हैं। चुकी मित्र हमारे-आपके अच्छे ओहदे पर हैं, इसलिए हम-आप बिश्वास भी कर लेते हैं। अपने बच्चे की चिंता जायज है। पर अफवाहों से भी बचना है। क्या पता किसी की सोची समझी साजिस हो। जिसका हम-आप शिकार हो रहें हैं। 



हालिया घटना सीतामढ़ी जिले की है। जहाँ कार की पूजा कर घर लौट रहे तीन युवा इसी तरह के अफवार का शिकार हो गए और जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहें हैं। आगे बढ़ने से पहले पूरी घटना क्रम को संक्षिप्त में जान लें। हुआ यूँ कि रूनीसैदपुर निवासी राजेश कुमार गुप्ता ने एक कार खरीदी। जैसा की सभी जानते हैं नई गाड़ी की पूजा की जाती है। तो इन्होने ने अपने अन्य दो मित्रों के साथ पूजा करने के लिए जानकी मंदिर पहुंचे। पूजा के पश्चात् कार लेकर वापस अपने घर आ रहे थे कि शहर के मधुबन चौक के पास कार एक झोपड़ी से टकरा गयी। जिसके बाद लोगो ने गाड़ी का पीछा करना शुरू किया। घबराये चालक का संतुलन और बिगड़ गया और परोरी पुल के पास गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। इसी बीच स्थानीय लोगो ने बच्चा चोरी कर भागने की अफवाह फैला दी। फिर क्या था, बिना सोचे समझे लोगो ने पिटाई शुरू कर दी। खैर किसी तरह सुचना पर पहुंची पुलिस ने तीनो को इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुँचाया। जहाँ से दो को बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया। जहाँ दोनों जिंदगी और मौत से लड़ रहें हैं। 


अब सवाल यह उठता है कि आखिर लोग कानून को हाथ में क्यों लेने लगे ? क्या कानून ब्यवस्था वाकई बिगड़ गयी है ? या फिर हम-आप पढ़-लिखकर भी अशिक्षित होते जा रहें हैं ? क्या वाकई फेशबुक और व्हाट्सप्प जैसे सोशल साइट्स ने हमारे-आपके सोचने-समझने के शक्ति को छिन्न कर दिया है ?


ऐसे ऐसे कई सवाल हैं। जिसका जवाब नहीं है। लेकिन इसको रोकने की जरुरत है। कानून को हाथ में न लें। फैसले के लिए कोर्ट और सुरक्षा के लिए पुलिस जैसे ब्यवस्था को बनाया गया है। हाँ सजग जरूर रहें ताकि इसकी आवश्यकता ही न पड़े। एक बात और सप्ताह में एक दिन नमक की तरह सोशल साइट्स का भी परित्याग करने का प्रयाश करें। सकारात्मक सोच रखे। 

पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद्। 


-: लेखक के कलम से :-

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