बिना किसी मापदण्ड के धड़ले से पटाखों की बिक्री

स्थानीय प्रखंड क्षेत्र में बिना किसी मापदण्ड के धड़ले से पटाखों की बिक्री हो रही है। सड़क किनारे चौकी व तख्त लगाकर घनी बस्तियों के बीच सजी है आतिशबाजी की दूकाने। स्थानीय प्रशासन दिन भर में कई बार इसी रास्ते से गुजरती है। परन्तु मुक दर्शक बन देखती रह जाती है। लेकिन नियमों के अवहेलना पर कोई कार्रवाई नही करती है। इस लापरवाही से कभी भी हादसे हो सकते हैं। जिसमें सडक चलते आम आदमी भी इसका शिकार हो सकता है। इस तरह की दूकाने चलते फिरते उच्च विद्यालय के पास से लेकर भगवान लाल चौक, राज मंदिर सिनेमा, भगत सिंह चौक, डाकघर, बाजार, मदरसा चौक व विरता चौक सहित आसपास के कई गांवों में भी देखी जा सकती है।
क्या है आतिशबाजी बेचने के नियम:- दूकान घनी आबादी क्षेत्र में न हो, बेचने वाले को प्रशिक्षित होना चाहिए, बेचने वाले की उम्र कम से कम 18 वर्ष या उससे उपर होना चाहिए, दूकान तक फायरब्रिेगेड के पहूँचने का सुगम रास्ता होना चाहिए, आस पास आग की चिंगारी उत्पन्न करने वाला समान यथा विद्युत उपकरण, बैट्री, तेल, लैम्प या लालटेन आदि नही होना चाहिए, दूकान के पास अग्निशमन यंत्र होना जरूरी है। साथ ही चार फायर बकेट, जिसमें बालू तथा पानी हमेशा भरा रहना जरूरी है।
इस तरह पटाखा बेचने वाले लगभग सभी दूकाने इस नियम की अनदेखी कर पटाखा स्टॉल या दूकान लगा रहे हैं। जिससे प्रशासन जानबुझकर अनभिज्ञ बनी बैठी है। दूसरी ओर तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री पर रोक है। जबकि ऐसे पटाखों की बिक्री खुब हो रही है। जिससे सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। कई बार हृदयगति को भी असामान्य कर देती है।

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